सांसद ने जेब से सूखी रोटी निकाली और जमीन पर बैठकर खाने लगे…

शाश्वत तिवारी

#Shashwat_Tewari गुरुकुल घरोंदा के एक संन्यासी जनसंघ के टिकट पर सांसद बन गए, उन्होंने कभी भी सरकारी आवास नहीं लिया। वे दिल्ली_6 के सीताराम बाजार के आर्य समाज मंदिर में ही रहते थे। संन्यासी जी वँहा से संसद की कार्रवाई में भाग लेने पैदल जाया करते थे।
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भारत को तपस्वियों का देश ऐसे ही नहीं कहा जाता…
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संन्यासी जी ऐसे पहले सांसद थे, जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे। उनके द्वारा बोले गए सभी वेद मंत्र संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में आज भी देखे जा सकते हैं। उन्होंने गोहत्या बंदी के लिए, एक बार संसद का घेराव भी किया था।
एक बार की घटना है, इंदिरा गांधी ने किसी मीटिंग में उन स्वामी जी को पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो सभी लोग बुफे काउंटर की ओर चल दिये। स्वामी जी वहां नही गए, उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और बुफे काउंटर से दूर जमीन पर बैठकर खाने लगे।
उनको जमीन में बैठा देख, इंदिरा जी ने कहा ये आप क्या कर रहे हैं ? क्या यहां खाना नहीं मिलता ? ये सभी पांच सितारा व्यवस्थाएं आप सांसदों के लिए ही तो की गई है।
इंदिरा जी की इस बात पर वो बोले – मैं संन्यासी हूं। सुबह भिक्षा में किसी ने यही रोटियां दी थी, मैं सरकारी धन से रोटी भला कैसे खा सकता हूं।
इंदिरा जी का धन्यवाद देते हुए होटल में उन्होंने इंदिरा से एक गिलास पानी और आम के अचार की एक फांक ली थी। जिसका भुगतान भी उन्होंने इंदिरा जी के मना करने के बावजूद किया था। जानते हैं यह महान सांसद और संन्यासी कौन थे? ये थे सन्यासी, स्वामी रामेश्वरानंद जी, परम गौभक्त, अद्वितीय व्यक्तित्व के स्वामी। स्वामी जी हरियाणा के करनाल से सांसद थे।
इस देवभूमि भारत में ऐसे अनेकों साधक हुए जिन्होंने बड़े उच्च आदर्श पेश किए है, जिनके देश प्रेम और शुद्ध आचरण के बारे में, इस पीढ़ी को पढ़ाया ही नहीं गया। कभी मौका लगे तो आप भी अवश्य जानिए, ऐसे व्यक्तित्वों को, भारत को तपस्वियों का देश ऐसे ही नहीं कहा जाता।
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