उत्तर प्रदेश विधानसभा का गौरवशाली इतिहास और सतीश महाना द्वारा उसका कायाकल्प

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा न केवल भारत की सबसे बड़ी विधानसभा है, बल्कि लोकतंत्र की जीवंतता और उसकी ताक़त का प्रतीक भी है। इसका इतिहास गौरवशाली है, जिसकी जड़ें भारत के स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण की प्रक्रिया से जुड़ी हैं।
1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद जब भारतीय लोकतंत्र ने अपने कदम बढ़ाने शुरू किए, तब उत्तर प्रदेश विधानसभा ने एक आदर्श संस्था के रूप में अपनी भूमिका निभाई। पंडित गोविंद बल्लभ पंत, डॉ. संपूर्णानंद, हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे महान नेता इसी सदन से निकले, जिनकी राजनीतिक सूझबूझ ने न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारत को दिशा दी।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में हुए कई ऐतिहासिक फैसलों ने सामाजिक न्याय, भूमि सुधार, शिक्षा और औद्योगिक विकास की नींव रखी। यह वही सदन है जिसने दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज को बुलंद किया और लोकतांत्रिक मूल्यों को ज़मीन तक पहुँचाया।
साल 2022 में जब वरिष्ठ और अनुभवी नेता सतीश महाना को उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया, तब से सदन की कार्यप्रणाली में नया उत्साह, नवाचार और गरिमा देखने को मिल रही है।
1. डिजिटलीकरण और तकनीकी उन्नयन: सतीश महाना ने विधानसभा की कार्यवाही को तकनीक से जोड़ने की ऐतिहासिक पहल की। अब विधायक टैबलेट और डिजिटल उपकरणों के ज़रिए प्रश्न पूछते हैं, दस्तावेज़ों तक तत्काल पहुंच पाते हैं, जिससे कार्यवाही अधिक पारदर्शी और प्रभावी हुई है।
2. नवीन पुस्तकालय और रिसर्च विंग: विधायकों को बेहतर अध्ययन सामग्री और नीतिगत शोध उपलब्ध कराने के लिए एक आधुनिक पुस्तकालय और रिसर्च डेस्क का निर्माण कराया गया है।
3. युवाओं को जोड़ने की पहल: सतीश महाना के कार्यकाल में युवाओं के लिए विधानसभा दर्शन और लोकतंत्र जागरूकता कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। छात्रों को अब सदन की कार्यप्रणाली को प्रत्यक्ष देखने का मौका मिलता है।
4. सदन की गरिमा और संवाद की गुणवत्ता: अध्यक्ष के रूप में सतीश महाना ने सुनिश्चित किया कि सदन में अनुशासन, मर्यादा और सार्थक बहस का माहौल बना रहे। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन साधते हुए उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त किया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा का अतीत जितना गौरवशाली रहा है, उसका वर्तमान उतना ही आधुनिक और सक्षम बनता जा रहा है। अध्यक्ष सतीश महाना की नेतृत्व क्षमता, दूरदृष्टि और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने विधानसभा को एक आदर्श मंच में परिवर्तित किया है।
आज जब भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, उत्तर प्रदेश विधानसभा भी एक नए युग की तैयारी में है, जहां तकनीक, पारदर्शिता, जनभागीदारी और नीति संवाद एक साथ आगे बढ़ते हैं। इस कायाकल्प का श्रेय निश्चित रूप से विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को जाता है, जिनकी सोच में परंपरा और परिवर्तन दोनों का सुंदर समावेश है।

(शाश्वत तिवारी)
(लेखक यूपी के जानेमाने स्वतंत्र पत्रकार हैं)