बेखौफ चल रहे सैकड़ों अवैध नर्सिंग होम, ‘सैयां भये कोतवाल’ की कहावत चरितार्थ



– फतेहपुर में मौत की दुकानों का जाल, जिम्मेदार विभाग गहरी नींद में

– अवैध अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़, जांच के नाम पर खुला खेल

फतेहपुर। जिले में अवैध नर्सिंग होम और अस्पतालों का जाल लगातार फैलता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि बिना पंजीकरण, बिना मानक सुविधाओं और बिना प्रशिक्षित डॉक्टरों के सैकड़ों की संख्या में तथाकथित नर्सिंग होम बेधड़क संचालित हो रहे हैं। इन “मौत की दुकानों” में हर रोज मरीजों की जान जोखिम में डाली जा रही है, लेकिन जिम्मेदार चिकित्सा विभाग आंख मूंदे बैठा है।
नगर पंचायत खागा, किशनपुर, हथगाम, खखरेडू, धाता सहित विजयीपुर, नरैनी और अन्य छोटे-बड़े कस्बों व प्रमुख सड़कों पर अवैध नर्सिंग होम आसानी से देखे जा सकते हैं। आरोप है कि चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारी या तो अनदेखी कर रहे हैं या फिर अपने कार्यालयों में बैठकर अवैध अस्पताल संचालकों से वसूली कर जेबें भर रहे हैं। ग्रामीण और गरीब मरीज इलाज के नाम पर इन अवैध अस्पतालों में लुट रहे हैं। कई मामलों में मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती किया जाता है, भारी-भरकम बिल थमा दिया जाता है और स्थिति बिगड़ने पर उन्हें रेफर कर दिया जाता है या फिर मौत के बाद जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जाती है। पीड़ितों का आरोप है कि मौत के बाद जांच अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर मामला दबा दिया जाता है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जहां “अच्छी शिक्षा–अच्छी चिकित्सा” और “जीरो टॉलरेंस” का दावा कर रही है, वहीं फतेहपुर का चिकित्सा विभाग इन दावों को ठेंगा दिखाता नजर आ रहा है। अवैध नर्सिंग होम में बिना बुनियादी सुविधाओं के बड़े-बड़े ऑपरेशन किए जा रहे हैं और अवैध रूप से लिंग जांच तक की जा रही है, लेकिन विभाग लगातार आंकड़ों और शिकायतों को नकारता आ रहा है। हाल ही में नगर पंचायत खागा स्थित मंथन हॉस्पिटल में एक मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जांच के नाम पर मोटी रकम वसूले जाने का आरोप लगाया है। क्षेत्र के एसीएमओ ने स्वयं स्वीकार किया है कि तहसील क्षेत्र में जहां करीब आधा सैकड़ा ही पंजीकृत अस्पताल हैं, वहीं एक सैकड़ा से अधिक अवैध नर्सिंग होम खुलेआम संचालित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, इन अवैध अस्पतालों के आसपास अवैध पैथोलॉजी भी फल-फूल रही हैं। आरोप है कि नर्सिंग होम और पैथोलॉजी की मिलीभगत से फर्जी जांच कराकर मरीजों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। जब एक अवैध नर्सिंग होम संचालक से बातचीत की गई तो उसने खुलेआम कहा कि वह अधिकारियों को मोटी रकम देकर अस्पताल चला रहा है और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बातचीत के दौरान उसने व्यंग्यात्मक हंसी के साथ कहा—“सैयां भये कोतवाल तो अब डर काहे का।”
इस पूरे मामले में जब चिकित्सा विभाग के डिप्टी सीएमओ इश्तियाक अहमद से बात की गई तो उन्होंने वही रटा-रटाया जवाब दिया कि शिकायत मिलने पर जांच कर अवैध रूप से संचालित अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल यह है कि जानकर भी अनजान बनने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर शासन का डंडा कब चलेगा? अवैध नर्सिंग होम में अपनों को खो चुके पीड़ित आज भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।