– सौ बीमारी का एक इलाज बुंदेलखंड राज्य- प्रवीण पाण्डेय बुंदेलखंडी
फतेहपुर। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने खागा नगर कार्यालय में खून से खत लिख कर बुंदेलखंड काला दिवस मनाया। समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय बुंदेलखंडी द्वारा 43वीं बार पीएम नरेंद्र मोदी को अपने खून से खत लिख बुंदेलखंड राज्य की मांग किया है। इस अवसर पर समिति के कार्यकर्ताओं ने काले कपड़े पहन, काली पट्टियाँ बाँधकर विरोध जताया और मांग की गई कि बुंदेलखंड राज्य का गठन कर इस ऐतिहासिक पीड़ा को समाप्त किया जाए।
केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय बुंदेलखंडी ने बताया कि यह लगातार 43वीं बार है जब बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने प्रधानमंत्री को अपने खून से खत लिखा है। उन्होंने कहा कि 1 नवम्बर 1956 को जब बुंदेलखंड को दो हिस्सों में बांट दिया गया, आधा मध्यप्रदेश में, आधा उत्तरप्रदेश में तब इस धरती के दिल को चीर दिया गया था। आज भी वह दिल लहूलुहान है। हमने खून से खत लिखकर प्रधानमंत्री को यह संदेश भेजा है कि अब इस दिल को मरहम देने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड भारत का हृदयस्थल है, और हृदय की धड़कन तभी स्थिर होगी जब बुंदेलखंड राज्य का गठन होगा। उन्होंने यह भी बताया कि हर वर्ष एक नवम्बर को समिति के कार्यकर्ता खून से पत्र लिखकर इस दिन को बुंदेलखंड काला दिवस के रूप में मनाते हैं।
सभा के दौरान मौजूद कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन अब केवल भावनात्मक नहीं बल्कि जन-आंदोलन बन चुका है।
हर गांव, हर जिले से प्रधानमंत्री तक आवाज़ पहुंचाई जाएगी।
बुंदेलखंड के युवाओं ने नारे लगाए – दिल्ली सुन ले बुंदेलों की बात, अब चाहिए अपना राज्य बुंदेलखंड, सभी ने एक स्वर में कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक बुंदेलखंड राज्य की घोषणा नहीं हो जाती। हमारे पूर्वजों ने देश के लिए लहू बहाया, आज हम उसी लहू से अपने हक़ की मांग लिख रहे हैं। जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक यह कलम नहीं रुकेगी।
कार्यक्रम के अंत में सभी कार्यकर्ताओं ने जय बुंदेलखंड के उद्घोष के साथ राष्ट्रगीत गाया और अगले वर्ष तक आंदोलन को गांव-गांव तक फैलाने का संकल्प लिया।
इस दौरान मुख्य रूप से राम प्रसाद विश्वकर्मा, शेर सिंह, रोशन सिंह, शैलेंद्र तिवारी बच्चा, विपिन सिंह, लल्लन सिंह, सीताराम पासवान, उत्कर्ष त्रिवेदी, नास्त्रेदमस त्रिपाठी, धीरज, अतुल सोमनाथ आदि उपस्थित रहे हैं।
