– फॉर्म न मिलने से लोग त्रस्त, ग्रामीणों में बढ़ी नाराज़गी
फतेहपुर। फतेहपुर जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे एसआईआर प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। एक तरफ ग्रामीण परेशान हैं बीएलओ से तो दूसरी ओर उच्च अधिकारियों के दबाव में बीएलओ आत्महत्या तक करते नजर आए हैं। इसी लिहाज से विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर-2025) का काम इस समय विवादों में है। यहाँ बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने शिकायत की है कि पिछले कई वर्षों से लगातार वोट डालने के बावजूद इस बार मतदाता सूची से उनके नाम अचानक गायब हो गए हैं। इसके साथ ही नाम जोड़ने और सुधार कराने के लिए जरूरी फॉर्म न मिलने की समस्या ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है।
इनसेट बॉक्स
ग्रामीणों का आरोप – हमारा नाम कैसे गायब हो गया?
दर्जनों गाँवों में एक जैसी शिकायतें मिलीं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में नाम दर्ज था, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी नाम था, 2019 व उससे पहले भी लोग नियमित मतदान करते थे लेकिन एसआईआर-2025 की ड्राफ्ट सूची में उनका नाम नहीं दिख रहा। ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि बिना किसी जांच, सूचना या सत्यापन के “लोगों के नाम यूँ ही काट दिए गए”, जिससे उन्हें चिंता है कि आगामी चुनावों में वे मतदान नहीं कर पाएंगे।
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केस स्टडी: इसरार अहमद – पूरा परिवार सूची से बाहर
ऐरायां ब्लॉक के उमरपुर गौंती गांव के मूल निवासी इसरार अहमद (65 वर्ष) पिछले 30 – 35 वर्षों से अपने परिवार के साथ लगातार मतदान कर रहे हैं। जब SIR की नई सूची आई, तो उन्हें पता चला कि उनके पूरे परिवार के लोगों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
इसरार अहमद बताते हैं कि हमारे परिवार के सभी लोगों के पास पुराना वोटर कार्ड है। लगभग – लगभग हर चुनाव में हमने वोट भी दिया है। इस बार जब सूची देखी तो पूरा परिवार गायब। बीएलओ से बात की, तो उसने कहा कि आपका फॉर्म नहीं है। बाद में आना। अब अगर फॉर्म ही नहीं मिल रहा तो नाम कैसे जुड़वाएँ? गाँव में इसरार अहमद जैसे कई और परिवारों की यही समस्या है। कई परिवारों के तो आधे सदस्यों के नाम हैं, आधे के नहीं।
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फॉर्म की भारी किल्लत – बीएलओ के पास जवाब नहीं
इस दौरान नाम जोड़ने/सुधार के लिए आवश्यक फॉर्म 6, 7, 8 की भी भारी किल्लत है। ग्रामीणों ने बताया कि बीएलओ गाँव में समय पर नहीं पहुँचते, जब आते हैं तो उनके पास फॉर्म सीमित होते हैं। फॉर्म माँगने पर अक्सर जवाब मिलता है कि अभी खत्म हो गए, कल आना। कई बुजुर्ग और महिलाएँ बार-बार बीएलओ के पीछे चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं वहीं कई लोगों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन आवेदन की जानकारी भी नहीं है और न ही इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। कई बीएलओ का कहना है कि हमारा काम सिर्फ एसआईआर करने का है ना कि नए नाम जोड़ने या संशोधन का है।
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गलत प्रविष्टियों की समस्या भी बड़ी
एसआईआर प्रक्रिया में सिर्फ नाम कटने की समस्या ही नहीं, बल्कि गलत प्रविष्टियों में भी वृद्धि हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोगों का नाम गलत वार्ड या दूसरे गाँव में चढ़ गया और कहीं पति का नाम है, लेकिन पत्नी का दर्ज नहीं साथ ही पता और उम्र की गलतियाँ आम हो गई हैं और कई मृत लोगों का नाम अब भी सूची में दर्ज है। कुछ स्थानांतरित परिवारों के नाम हटाए नहीं गए, जबकि स्थानीय लोग कट गए। इन सबके कारण लोगों में भ्रम और नाराज़गी बढ़ गई है।
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ग्रामीणों की आवाज – हमको वोट देने से वंचित न किया जाए
ग्रामीण बताते हैं कि एसआईआर प्रक्रिया इस बार बहुत अव्यवस्थित दिख रही है। गाँव की एक महिला ने कहा कि हम घर के काम से निकल ही नहीं पाते। बीएलओ आता नहीं और फॉर्म भी नहीं देता। हमारा नाम कैसे जुड़ेगा? तो एक अन्य बुजुर्ग ने कहा कि इतने साल से वोट डालते आए हैं। अब अचानक नाम कैसे कट गया? हम गरीब लोग रोज कहाँ दौड़ते रहें?
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विपक्षी नेता ने उठाई आवाज
एसआईआर की अव्यवस्था से स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन भी नाराज़ हैं। इस बाबत समाजवादी पार्टी के नेता एवं एसआईआर के लिए सपा की ओर से अधिकृत प्रशिक्षणकर्ता अब्दुल राफ़े कहना है कि जनपद में एसआईआर का काम लापरवाही से चल रहा है। पुराने वोटरों के नाम हटाना गंभीर मामला है। प्रशासन को तुरंत निगरानी तेज करनी चाहिए।
ऐसे में उन्होंने आवाज उठाई कि कटे नामों की सूची पंचायत में चिपकाई जाए, फॉर्म की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, बीएलओ की जवाबदेही तय हो और जरूरत पड़े तो एसआईआर प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई जाए, ताकि कोई भी मतदाता वंचित न रहे। सबसे बड़ी बात ये है कि बीएलओ को मिले एसआईआर फॉर्म में सिर्फ मतदाता का नाम और फोटो मात्र है जो ब्लैक एंड व्हाइट है जिससे फोटो से पहचान कर पाना बड़ा मुश्किल है और मतदाता के पिता या पति का नाम नहीं है जिससे पहचान न हो पाने से लोगों को फॉर्म तक नहीं मिल पाता है जिससे समस्या और बढ़ी है।
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एसआईआर प्रक्रिया – प्रशासन पर उठ रहे सवाल
जनपद में एसआईआर को लेकर लगातार सामने आ रही शिकायतें यह साबित करती हैं कि सूची अपडेट में गंभीर लापरवाही हुई है, फॉर्म वितरण सही से नहीं हो रहा, पुराने वोटरों को भी गलत तरीके से हटाया गया, गाँवों में जागरूकता और सुविधा दोनों की कमी है ऐसे में यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ तो आगामी चुनाव में बड़ी संख्या में लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
