भारत की आत्मा “हिंदू” को गलत ढंग से बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश- आशीष तिवारी (नेता, भाजपा)

लखनऊ/ आज न्यायालय ने मालेगांव बम विस्फोट मामले में सभी सातों आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे। 17 वर्षों की असहनीय पीड़ा, सामाजिक बहिष्कार और मानसिक यातनाओं के बाद आज उन्हें न्याय मिला।
यह केवल एक न्यायिक फैसला नहीं है, बल्कि एक विचारधारा को गलत ढंग से बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश है।
अब देश के सामने कई सवाल खड़े होते हैं—

1. क्या ये 17 साल वापस आ सकते हैं?

2. क्या इस अपमान और मानसिक कष्ट की भरपाई हो सकती है?

3. क्या उन अधिकारियों, नेताओं या जांच एजेंसियों पर कार्रवाई होगी जिन्होंने इन्हें झूठे आरोप में फंसाया?

4. और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न — यदि वे आरोपी नहीं थे, तो मालेगांव ब्लास्ट किसने किया था?

17 साल बाद सातों निर्दोषों को न्याय मिला, लेकिन वे 6 लोग जो मारे गए, और 100 से अधिक लोग जो घायल हुए, उन्हें न्याय कब मिलेगा?

मैं भारत सरकार और माननीय न्यायालय से करबद्ध निवेदन करता हूं कि इस ब्लास्ट की पुनः जांच करवाई जाए और देश को सच्चाई से अवगत कराया जाए।

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