अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की जो धमकी दी थी, वो अब लागू हो गयी है। अमेरिकी समय के मुताबिक रात बारह बजकर एक मिनट और भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह नौ बजकर 31 मिनट से भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका 25 परसेंट अतिरिक्त टैरिफ लगाना शुरू कर देगा। अमेरिका के कस्टम्स ऐंड इमिग्रेशन को ये आदेश लागू हो गया है।
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पीएम नरेंद्र मोदी संकट को अवसर में बदलने में माहिर हैं, हमें मोदी पर भरोसा करना चाहिए। ट्रंप के टैरिफ से पैदा होने वाले संकट को भी सफलता में बदलेंगे।
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ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का एलान किया था। इससे पहले उन्होंने 29 जुलाई को भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। अमेरिका जाने वाले भारत की 66 प्रतिशत वस्तुओं पर टैरिफ लगेगा। इसका सबसे ज़्यादा असर कपड़ा, ज़ेवरात, चमडा और मशीनरी, कार्पेट और फर्नीचर एक्सपोर्ट पर पड़ेगा।
भारत, अमेरिका को हर साल 86 अरब डॉलर से ज़्यादा का सामान निर्यात करता है। इसमें से क़रीब 60 अरब डॉलर के सामान पर अमेरिका का अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा। अमेरिका ने भारत के क़रीब 30 प्रतिशत यानी 27 अरब डॉलर के निर्यात को इस अतिरिक्त टैरिफ के दायरे से बाहर रखा है। इसमें स्टील, कॉपर, एल्युमिनियम के अलावा दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
मोदी कई मौक़ों पर साफ कर चुके हैं कि भारत किसी दबाव में नहीं आएगा। सरकार देश के हितों से किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी। पीएम मोदी ने इशारों में कहा कि इस तरह की समस्याओं का एक ही समाधान है, आत्मनिर्भरता। मोदी ने गुजरात में कहा कि जब दुनिया में व्यापार युद्ध छिड़ा हुआ है, ग्लोबल सप्लाई चैन बिखर रही हैं तो भारत दुनिया के लिए उम्मीद की किरण बन रहा है।
मोदी ने कहा कि उन्होंने भारत को मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया का बड़ा सेंटर बनाने का संकल्प लिया है। इसीलिए मिशन मैन्युफैक्चरिंग शुरू किया गया है, दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां भारत आएं और यहां सामान बनाकर दूसरे देशों को निर्यात करें, दुनिया भर में ‘मेड इन इंडिया’ का डंका बजे और हर भारतीय स्वदेशी के महत्व को पहचाने, यही ट्रेड वॉर का सबसे बेहतर जवाब होगा।
मोदी ने अमेरिकी टैरिफ का नाम नहीं लिया, लेकिन कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने साफ कहा कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वो दादागीरी कर रहा है, भारत को डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ये नया भारत है जो किसी से नहीं डरता, किसी के सामने नहीं झुकता।
पूरी दुनिया इस बात को मानती है कि टैरिफ के मामले में ट्रंप ने भारत के साथ अन्याय किया है। इसे भी सबने देखा है। ये भी सही है कि ज्यादातर देश ट्रंप के दबाव में आ गए, ट्रंप की डील को स्वीकार कर लिया। भारत ने ट्रंप के सामने झुकने से इनकार किया।
ट्रंप ने डराने धमकाने की पूरी कोशिश की लेकिन मोदी न झुके, न डरे, इस बात को भी पूरी दुनिया ने देखा। तीसरी बात ये है कि ट्रंप ने चीन को भी डराने की कोशिश की। 200% टैरिफ लगाने तक की धमकी दी लेकिन चीन अमेरिका का मित्र देश नहीं है, चीन भी रूस से तेल खरीदता है। पर ट्रंप ने चीन को लेकर सिर्फ शोर मचाया, कुछ किया नहीं। क्योंकि चीन अमेरिका के लिए बहुत बड़ा मार्केट है। ये भी ट्रंप की दोहरी नीति का ऐसा उदाहरण है, जिसे पूरी दुनिया समझती है। इसीलिए मुझे लगता है कि भारत को धैर्य रखना चाहिए। परीक्षा की घड़ी में चतुराई से काम लेना चाहिए जो अब तक भारत ने किया है।
नरेंद्र मोदी संकट को अवसर में बदलने में माहिर हैं। हमें मोदी पर भरोसा करना चाहिए। ट्रंप के टैरिफ से पैदा होने वाले संकट को भी सफलता में बदलेंगे। हो सकता है कि साल-दो साल मुसीबतों का सामना करना पड़े। हो सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था जिस गति से आगे बढ़ रही है उसकी रफ्तार में मामूली कमी आए। लेकिन इस समय भारत की अर्थव्यवस्था दबाव को झेल सकती है।
कोविड का बुरा वक्त इसका उदाहरण है। भारत ने संकट को अवसर में बदला। इससे पहले 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। उस समय हमारी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत नहीं थी। अब तो भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमेरिका को होने वाला निर्यात हमारी जीडीपी का सिर्फ 2% है। इसीलिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं।
भारत का विशाल घरेलू बाज़ार हमारी अर्थव्यवस्था की शक्ति है। अमेरिका के लिए भी ये बहुत बड़ा बाज़ार है। अगर भारत को टैरिफ से नुकसान होगा तो अमेरिका के हाथ से भी बड़ा मार्केट जाएगा। भारत में तो मान्यता है कि ‘जो होता है, अच्छे के लिए होता है’। अगर अमेरिका कोई रास्ता बंद करेगा तो दूसरे देशों के बाज़ार भारत के लिए खुलेंगे।
ट्रंप के रुख से भारत, रूस और चीन क़रीब आए हैं। भारत, रूस, चीन दुनिया की कुल आबादी की 38% है। यानी दुनिया का 38% मार्केट इन तीन देशों के पास है। इसी तरह टेक्सटाइल्स, फार्मा, इंजीनियरिंग गुड्स, स्टील और मरीन प्रोडक्ट्स का 30% से ज्यादा बाजार भारत, रूस और चीन के पास है। अगर ये तीनों देश एक साथ आ जाते हैं तो अमेरिका हाशिय़े पर आ जाएगा। अमेरिका की दादागीरी खत्म हो जाएगी।
