शिक्षक दिवस पर शिक्षिका का विचार: “शिक्षक सिर्फ किताब नहीं, जीवन की राह भी दिखाता है”



– विशेष मुलाकात राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त शिक्षिका आसिया फ़ारुकी से

फतेहपुर। शिक्षक दिवस पर जिले भर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर हमारी टीम ने जनपद की एक शिक्षिका से विशेष बातचीत की। वो शिक्षिका जिनकी पहचान एक जनपद ही नहीं बल्कि राज्य से निकलकर राष्ट्र स्तर तक हुई है। आज हम बात कर रहे हैं आसिया फ़ारुकी की जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वैसे आसिया फ़ारुकी वर्तमान में प्रधानाध्यापक हैं प्राथमिक विद्यालय अस्ती, नगर क्षेत्र, फतेहपुर की। इसके अलावा इनकी विशिष्ट उपलब्धि ये हैं – राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, राज्य शिक्षक पुरस्कार, मिशन शक्ति पुरस्कार एवं उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित हुई हैं।
शिक्षिका आसिया फ़ारुकी ने अपने अनुभव साझा करते हुए त्रिभुवन सिंह से बताया कि “शिक्षक दिवस मेरे लिए सम्मान और प्रेरणा का दिन है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षक बच्चों का भविष्य गढ़ते हैं और उन्हें सही दिशा दिखाते हैं।”
बचपन की यादों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा से पढ़ाई-लिखाई से गहरा लगाव रहा और अपने आदर्श शिक्षकों से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने शिक्षा क्षेत्र को करियर बनाया। आज के दौर की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट की लत से दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि “आज जरूरत है कि हम बच्चों को पढ़ाई में रुचि पैदा करें और खुद भी नए जमाने की तकनीकों के साथ अपडेट रहें।”
उन्होंने विद्यालय की खट्टी – मीठी चर्चा में गंभीरता से बताया कि मैंने एक खराब विद्यालय को प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भौतिक परिवेश को साफ सुथरा किया। अराजक तत्वों को विद्यालय से मुक्त करने में पुलिस की सहायता ली। अपने शिक्षक को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारे नवाचार किए, बच्चों की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की क्लासेस शुरू की बच्चों को उनके बाल अधिकारों की जानकारी दी। पपेट शो के माध्यम से बच्चों में रोचकता एवं जागरूकता लाती हूं। ऐसे नवाचार शुरू किया जिससे बच्चे किताबी ज्ञान के तनाव के बजाय आनंद से पढ़ते हैं। मैंने अपनी शिक्षा प्रणाली में एक ऐसा सिस्टम क्रिएट किया जो छात्रों को सशक्त करे। शैक्षिक स्तर में सुधार करे। शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करते हुए व्यक्ति अपनी कल्पना सोच विचार में रचनात्मक पैदा कर सकता है। शिक्षक ही व्यक्ति का निर्माण करता है, शिक्षा से जुड़े व्यक्ति को साधारण नहीं माना जा सकता क्योंकि वह समाज और देश दुनिया का भविष्य गढ़ता है। वह बच्चों की आंखों में सुंदर सुनहरे भविष्य के बीज बोता है। शिक्षक बच्चों के साथ ही हर पल जीता है, वह समुदाय की धरोहर है, बच्चों का कलरव विद्यालय प्रांगण में खुशियों की वर्षा करता है। शिक्षक की कक्षा और उसके गांव का भविष्य क्या होगा? यह एक शिक्षक का व्यवहार देखकर अनुमान लगाया जा सकता है। शिक्षक केवल पुस्तकें ही नहीं पढ़ते बल्कि बच्चों के मन को भी पढ़ते हैं। शिक्षक अनेक चुनौतियों से जूझते हुए भी बच्चों की कल्पना में उड़ान देते हैं।
प्राथमिक विद्यालय अस्ती बाल मानस की एक ऐसी कार्यशाला है, जहां राष्ट्र निर्माण के लिए बालकों को संस्कृत और पोषित किया जाता है। यद्यपि मैं विद्यालय में अकेली शिक्षिका हूं फिर भी सुबह प्रार्थना सभा से ही बच्चों को अनुशासित ढंग से विद्यालय में प्रवेश करना सिखाती हूं। मेरा यह मानना है कि प्रत्येक बच्चा अपनी कुछ मूल प्रवृत्तियों के साथ पैदा होता है, मैं अपने विद्यालय के प्रत्येक बच्चे को नैतिक मूल्यों की समझ पर कार्य करती हूं। जिन मूल्यों की किसी देश को परम आवश्यकता होती है। मानवीय मूल्य जैसे दया, उदारता, करुणा, परोपकार, सच्चाई, कर्तव्य निष्ठा, मेहनत और लगन आदि गुण विकसित करती हूं, और अपने बच्चों में पोषित करती हूं। मैं स्वयं समय से उपस्थित होकर बच्चों के लिए उदाहरण बनी हूं। विद्या ददाती विनयम में बुद्धि और विवेक दोनों में बहुत अंतर होता है। यहां पर मैं दो इंजीनियर के उदाहरण देना चाहूंगी एक होते हैं हमारे देश के राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तथा एक इंजीनियर होता है, ओसामा बिन लादेन। ओसामा बिन लादेन के पास विवेक नहीं था। उसकी सारी बुद्धि विनाशकारी सिद्ध हुई। मैं अपने बच्चों में बुद्धि तथा विवेक दोनों पोषित करती हूं। जिससे राष्ट्र का निर्माण हो सके तथा जग का कल्याण हो सके। इसके लिए विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अवसर पर समाज के हर वर्ग के लोगों को आमंत्रित करना उनको सम्मानित करना तथा उनके विचार सुनना हमारा विशेष कार्य रहता है। मैं मानवता तथा मानवता की सेवा के लिए नैतिक मूल्यों का विकास अपने बच्चों में करना चाहती हूं। मेरा यह प्रयास रहता है कि प्रत्येक बच्चा राष्ट्रीय निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके। शिक्षक होने के नाते विद्यालय के सभी बच्चे मेरी दृष्टि में समान होते हैं, संविधान की मूल भावना के अनुसार बिना किसी भेदभाव के एक स्वस्थ नागरिक बनते हैं। यह मेरा मौलिक दृष्टिकोण है। यही बालक भविष्य का राष्ट्रपति भी बन सकते हैं। राष्ट्रीय एकीकरण से ओत प्रोत बच्चा राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा तथा यही मेरे द्वारा प्रदान की गई सच्ची शिक्षा होगी।
आदर्श शिक्षक की परिभाषा देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि बच्चों को जीवन जीने की कला भी सिखाए। अंत में विद्यार्थियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि “मेहनत और अनुशासन से कोई भी मंज़िल पाना मुश्किल नहीं। सीखना कभी बंद मत कीजिए, क्योंकि सीखने से ही जीवन का हर रास्ता आसान होता है।”
शिक्षिका के विचारों ने उपस्थित सभी लोगों को प्रेरित किया।