धनुष भंग के साथ सिया हुईं राम की, लगे सियावर रामचन्द्र की जय के नारे



– धनुष यज्ञ लीला में टूटा शिवधनुष, जय श्रीराम के नारों से गूंजा सुल्तानपुर घोष

– ऐतिहासिक 13 दिवसीय रामलीला के पांचवें दिन हुआ भव्य मंचन, हजारों श्रद्धालु बने साक्षी

फतेहपुर। कस्बे की ऐतिहासिक 13 दिवसीय रामलीला में सोमवार की रात भक्तिमय माहौल उस समय चरम पर पहुंच गया जब मंच पर धनुष यज्ञ प्रसंग का भव्य मंचन हुआ। विभिन्न जनपदों से आए कलाकारों ने जिस जीवंतता और संवाद शैली से यह प्रसंग प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को रामायण काल की अनुभूति करा दी। पूरा मैदान जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।
परंपरा के अनुसार, लीला प्रारंभ होने से पहले राम और लक्ष्मण की पूजा व आरती हुई इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने जय श्रीराम के नारे से स्वागत किया। लीला का आरंभ गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से हुआ, जहां श्रीराम और लक्ष्मण ने संध्या वंदन के बाद मिथिला के लिए प्रस्थान किया। उधर जनकपुरी में सीता स्वयंवर की तैयारियां पूर्ण हो चुकी थीं। देश-विदेश के राजा स्वयंवर में भाग लेने पहुंचे, परंतु कोई भी शिवधनुष को तनिक भी हिला न सका। राजा जनक ने जब यह देखा कि कोई भी वीर धनुष उठाने में सफल नहीं हुआ, तो निराश होकर बोले — लगता है धरती वीरों से रिक्त हो गई। जनक के यह शब्द सुनते ही लक्ष्मण का क्रोध उमड़ पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि बड़े भैया अनुमति दें तो यह धनुष क्या, पूरी जनकपुरी को हिला दूं।
गुरु की आज्ञा पाकर जब भगवान राम ने सहज भाव से धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाई, तभी धनुष दो भागों में टूट गया। क्षणभर में पूरा मैदान जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा। सीता ने भगवान राम के गले में वरमाला डाली और सखियों ने मंगल गीत गाए। श्रद्धालुओं ने भगवान राम की आरती उतारी और जय सीताराम के नारों से आकाश गुंजायमान हो उठा।
धनुष टूटते ही भगवान परशुराम क्रोधपूर्वक जनकपुरी पहुंचे। उन्होंने राजा जनक से पूछा कि किसने भगवान शंकर का धनुष तोड़ा? सभा में सन्नाटा छा गया। तभी लक्ष्मण के तीखे शब्दों से संवाद आरंभ हुआ। दर्शकों ने परशुराम और लक्ष्मण के इस संवाद का खूब आनंद लिया। संवाद देर रात से चलता हुआ प्रातः 8 बजे तक चला।
अंततः जब श्रीराम ने विनम्रता पूर्वक परशुराम से क्षमा मांगी, तो परशुराम को ज्ञात हुआ कि श्रीराम स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने श्रीराम का चरणस्पर्श कर आशीर्वाद दिया और जनकपुरी से विदा ली।
कार्यक्रम के विषय में रामलीला कमेटी के प्रमुख सदस्य ऋषि गुप्ता, मुन्ना तिवारी, राजन तिवारी, श्यामू तिवारी, अवधेश प्रसाद गुप्ता, अभिषेक गुप्ता (बबलू), अभिषेक पाल (गोलू), अखिलेश पाल (गांधी) व अन्य ने बताया कि धनुष यज्ञ और लक्ष्मण – परशुराम संवाद की लीला करने बाहरी कलाकार आए। इन कलाकारों में आशुतोष द्विवेदी (राम), सचिन द्विवेदी (लक्ष्मण), नवल तिवारी (रावण), गोपाल अवस्थी (परशुराम) के शानदार अभिनय ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्तों ने इस लीला को जीवन का दिव्य अनुभव बताया। लीला के अंत में भगवान राम की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। वहीं मंगलवार को राम बारात निकाली गई है।