– पराली जलाने पर 36 किसानों पर ₹2,07,500 का जुर्माना, ₹80,000 की वसूली भी हुई
– खेतों में पराली जलाने पर सैटेलाइट से रखी जा रही निगरानी
– सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने पराली जलाना दंडनीय अपराध बताया
फतेहपुर। खेतों में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। उप कृषि निदेशक सत्येन्द्र सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे खेतों में फसल अवशेष (पराली) को न जलाएं, बल्कि उसे मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करें या नजदीकी गौशाला में संरक्षित कराएं। उन्होंने बताया कि खेतों की सैटेलाइट से लगातार निगरानी की जा रही है। यदि किसी खेत में पराली जलाने की घटना मिलती है तो उसका विवरण सैटेलाइट रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है और किसान को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
उप कृषि निदेशक ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाना दंडनीय अपराध घोषित किया है। इसलिए किसान भाई इस कार्य से बचें और फसल अवशेष को उपयोगी खाद में बदलें। उन्होंने बताया कि 8 नवंबर 2025 को तहसील सदर क्षेत्र में दो कम्बाइन हार्वेस्टर मशीनें बिना एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) के फसल काटते हुए पाई गईं। कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने दोनों मशीनों को मौके पर सीज कर दिया। कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे बिना एसएमएस लगाए फसल की कटाई करते पाए गए तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, 7 नवंबर 2025 तक तहसील सदर में 14 किसानों, खागा में 16 किसानों और बिन्दकी में 6 किसानों पर पराली जलाने के आरोप में कुल ₹2,07,500 का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से ₹80,000 की वसूली हो चुकी है। अंत में उप कृषि निदेशक ने किसानों से अपील की है कि वे पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता को ध्यान में रखते हुए पराली न जलाएं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
