– 1 से 30 सितम्बर तक चलेगा प्रदेशव्यापी ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान
– पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट आने वालों को ईंधन नहीं मिलेगा
– जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर कर रहे निगरानी
– स्थानीय लोग बोले – “शुरुआत में परेशानी, लेकिन सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी कदम”
फतेहपुर। सड़क सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ का आगाज़ सोमवार से फतेहपुर में भी हो गया। अब पेट्रोल पंपों पर दोपहिया वाहन चालकों को तभी ईंधन मिलेगा, जब वे हेलमेट पहनकर आएंगे। यह अभियान पूरे प्रदेश में 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक चलेगा।
जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला सड़क सुरक्षा समिति ने इस अभियान को लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसमें पुलिस, परिवहन विभाग, खाद्य एवं रसद, राजस्व विभाग और पेट्रोल पंप संचालकों की सक्रिय भागीदारी रहेगी। प्रशासन का कहना है कि यह कदम दंडात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से उठाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही स्पष्ट किया है कि इस पहल का मकसद सड़क हादसों में कमी लाना और आम जनता की जान की सुरक्षा करना है। उनका संदेश है – “पहले हेलमेट, फिर ईंधन।”
अभियान के तहत पेट्रोल पंपों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। पेट्रोल पंप कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि बिना हेलमेट आने वाले चालकों को ईंधन न दिया जाए। वहीं, अगर कोई नियम तोड़ने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ चालान की कार्रवाई भी की जाएगी।
स्थानीय लोगों और संचालकों की प्रतिक्रियाएँ
इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप संचालक हरिश्चंद्र मौर्य का कहना है, “हम लोगों को पहले से ही जागरूक कर रहे हैं। कई ग्राहक हेलमेट भूलकर आते हैं, तो उन्हें समझाकर वापस भेजा जाता है। शुरुआत में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन धीरे-धीरे लोग नियम मानने लगेंगे।”
भारत पेट्रोलियम पेट्रोल पंप के संचालक मुश्ताक आब्दी का कहना रहा है कि हेलमेट के प्रति लोगों को हम लोग कंपनी के निर्देश पर समय – समय पर जागरूक करते आ रहे हैं लेकिन लोगों में सुरक्षा का तनिक भी चिंता नहीं रहता है, इस अभियान के तहत सख्ती से हेलमेट पहनने का पालन होगा और लोग जागरूक भी होंगे।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम पेट्रोल पंप के संचालक इकबाल अहमद का कहना रहा है कि कंपनी द्वारा समय – समय पर जागरूकता अभियान चलवाती रहती है फिर भी अपने जान के प्रति सजग नहीं रहते हैं ऐसे में ये अभियान से लोगों में जागरूकता आएगी और लोग हेलमेट पहनने की आदत डालेंगे।
फतेहपुर शहर निवासी संजय कुमार, जो रोज बाइक से ऑफिस जाते हैं, ने कहा, “यह बहुत अच्छी पहल है। कई लोग हेलमेट की अनदेखी करते हैं, जिससे सड़क हादसों में जान चली जाती है। अब पेट्रोल से जोड़ने से लोग मजबूरी में ही सही, लेकिन हेलमेट पहनेंगे।”
वहीं छात्रा निधि वर्मा ने बताया, “कभी-कभी जल्दी में हेलमेट छूट जाता है, अब ऐसी गलती नहीं करेंगे। यह अभियान हमारी सुरक्षा के लिए ही है।”
हालांकि, कुछ लोगों ने इसे थोड़ी असुविधाजनक भी बताया। ग्रामीण क्षेत्र के बाइक सवार रामकेवल ने कहा, “गांव में छोटा रास्ता है, हम लोग हेलमेट कम पहनते हैं। अब पेट्रोल के लिए हेलमेट लाना जरूरी हो गया है। हमें आदत डालनी पड़ेगी।”
चुनौती भी कम नहीं
नकली और सस्ते हेलमेट की बिक्री को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। हेलमेट निर्माता संघ का दावा है कि बाजार में बिकने वाले कम कीमत वाले अधिकतर हेलमेट सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि केवल BIS मानक वाले हेलमेट ही खरीदें।
फतेहपुर में पहले भी यह अभियान चल चुका है, लेकिन कमजोर निगरानी और लोगों की लापरवाही के कारण असर सीमित रहा। इस बार जिला प्रशासन का दावा है कि पेट्रोल पंपों पर निरंतर मॉनिटरिंग और व्यापक जनजागरूकता से अभियान को सफल बनाया जाएगा।
इस अभियान की आलोचना करने वाले कहते हैं कि यह आम जनता के लिए असुविधाजनक है। लेकिन सवाल यह है कि थोड़ी सी असुविधा बड़ी त्रासदी को रोकने के लिए क्यों नहीं झेली जा सकती? सड़क पर जीवन की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है और उसमें समझौते की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
पूर्व अनुभवों से शिक्षा
जनवरी 2025 में भी फतेहपुर में ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ जैसे अभियान हुए थे। लेकिन वहाँ इसे ठीक से लागू नहीं किया जा सका — कुछ पेट्रोल पंपों पर एक ही हेलमेट कई ग्राहकों को पहनाया जाता था, जिससे नियम वास्तविकता से दूर दिखा।
जागरूकता के स्लोगन
1. “पेट्रोल फिर मिल सकता है, जिंदगी नहीं।”
2. “पहले हेलमेट, फिर ईंधन—अब सुरक्षा ही प्राथमिकता।”
3. “थोड़ी असुविधा सही, लेकिन बड़ी त्रासदी से बचाव जरूरी।”
4. “हेलमेट केवल कानून नहीं, जीवन का कवच है।”
5. “नो हेलमेट, नो फ्यूल— सड़क सुरक्षा की नई संस्कृति।”

