– पल्लवी पटेल, बालकुमार पटेल के बाद एक और विपक्षी नेता को पीड़ित परिवार से मिलने से रोका गया
फतेहपुर। थाना धाता क्षेत्र के अजरौली (पल्लावा) गांव में पटेल जाति के किसान की हत्या और दो लोगों के गंभीर घायल होने के बाद राजनीतिक हलचल थमने का नाम नहीं ले रही। इस बीच मंगलवार को समाजवादी लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष व सपा नेता डॉ राम करन निर्मल जब पीड़ित परिवार से मिलने के लिए गांव जा रहे थे, तो रायबरेली – फतेहपुर बोर्डर पर थाना सुल्तानपुर घोष क्षेत्र अंतर्गत नौबस्ता पुलिस चौकी पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान सपाइयों एवं पुलिस कर्मियों के मध्य काफी झड़प हुई। इस दौरान पुलिस उपाधीक्षक खागा बृज मोहन राय के नेतृत्व में हथगाम एवं सुल्तानपुर घोष पुलिस ने सपा नेता को अजरौली गांव जाने से रोका। इससे पहले अपना दल (कमेरावादी) विधायक पल्लवी पटेल पुलिस को चकमा देकर बाइक से गांव पहुंच गई थीं और परिवार से मुलाकात कर प्रशासन पर सवाल उठाए थे। इसके अलावा सपा के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को भी पुलिस ने फतेहपुर – कौशाम्बी बॉर्डर पर रोका था। बावजूद इस सबके उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राकेश सचान और सोमवार को बिंदकी विधायक एवं पूर्व मंत्री जय कुमार जैकी भी घटना स्थल पर पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिले थें लेकिन विपक्षी नेताओं को पुलिस पूर्णतया रोक लगा रही है। सपाइयों द्वारा जमकर हल्ला बोला गया और योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी और जब – जब योगी डरता है, पुलिस को आगे करता है जैसे सरकार विरोधी नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन करते नजर आए।
घटना का पृष्ठभूमि
26 अगस्त को गांव के ही एक व्यक्ति ने कुल्हाड़ी से हमला कर किसान केशपाल सिंह (65) की हत्या कर दी थी। इसी दौरान रिटायर्ड सिपाही वीरभान सिंह और किसान रामलखन सिंह इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों एवं पीड़ित परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने शुरुआती कार्रवाई में गंभीरता नहीं दिखाई।
राम करन निर्मल को रोका गया
सपा नेता एवं लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष राम करन निर्मल मंगलवार को कार्यकर्ताओं के साथ अजरौली जा रहे थे। तभी रास्ते में ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया और आगे बढ़ने नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने हालात बिगड़ने की आशंका जताकर यह कदम उठाया। सपा नेता राम करन निर्मल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “पीड़ित परिवार से मिलने और उनका दर्द सुनना मेरा कर्तव्य है। लेकिन प्रशासन विपक्षी नेताओं को रोककर सच सामने आने से बचाना चाहता है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।”
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
समूचे घटना में पीड़ित परिवार का कहना है कि वे चाहते हैं कि सभी राजनीतिक दल और नेता आकर उनकी पीड़ा समझें और न्याय दिलाने में मदद करें। उनका आरोप है कि पुलिस शुरुआती जांच में सुस्ती बरत रही थी। इस दौरान पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने कहा कि “हम चाहते हैं कि दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिले और मामले की निष्पक्ष जांच हो। नेताओं को रोकना सही नहीं है, क्योंकि हमारी आवाज उठाने वाला ही कोई नहीं बचेगा।”
प्रशासन का पक्ष
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हालात संवेदनशील हैं, इसलिए किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को गांव जाने की अनुमति नहीं दी जा रही। अधिकारियों का ये भी दावा है कि सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
प्रशासन का कहना है कि जांच निष्पक्ष और तेज गति से की जा रही है।
आगे की संभावनाएं
सपा और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को और उग्र बना सकते हैं। अगर प्रशासन ने जल्द ही संतोषजनक कार्रवाई नहीं की, तो बड़े आंदोलन की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। अजरौली घटना अब कानून-व्यवस्था के साथ-साथ राजनीतिक मुद्दा भी बन गई है।
पीड़ित परिवार से मिलने और उनका दर्द सुनना मेरा कर्तव्य है। लेकिन प्रशासन विपक्षी नेताओं को रोककर सच सामने आने से बचाना चाहता है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है – डॉ० राम करन निर्मल, प्रदेश अध्यक्ष, सपा लोहिया वाहिनी
