बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का विरोध करते हुए एक साल का संघर्ष पूरा हुआ



फतेहपुर। फतेहपुर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का गुरुवार को एक साल पूरा होने पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। देश भर में लाखों बिजली कर्मियों ने सड़कों पर उतरकर निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का विरोध किया।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मचारियों ने लगातार 365वें दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रखा। अन्य प्रांतों की राजधानियों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने उप्र में चल रहे विद्युत निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने बिल को तत्काल वापस लेने की भी मांग की। गुरुवार को हाइडिल कॉलोनी फतेहपुर में आयोजित विरोध सभा में कर्मियों ने संकल्प लिया कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और आंदोलन के दौरान बिजली कर्मियों पर की गई सभी उत्पीड़नात्मक कार्रवाईयाँ वापस नहीं ली जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण का निर्णय एक वर्ष पूर्व घाटे के गलत आंकड़ों के आधार पर लिया गया था। समिति का दावा है कि यदि सब्सिडी और सरकारी बकाया भुगतान कर दिया जाता तो निगम घाटे में नहीं है। विद्युत नियामक आयोग ने इस दावे की पुष्टि करते हुए कहा कि 01 अप्रैल 2025 तक विद्युत वितरण निगमों के पास 18925 करोड़ रुपए सरप्लस था। इसी आधार पर बिजली के टैरिफ में वृद्धि नहीं की गई। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन बड़ी संख्या में कर्मियों पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही कर रहा है। रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने के लिए प्रीपेड मीटर लगवाए जा रहे हैं। इसके बावजूद बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर लगातार संघर्षरत हैं और सड़कों पर उतर रहे हैं। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि जब तक निजीकरण निरस्त नहीं होगा और उत्पीड़न समाप्त नहीं होगा, यह आंदोलन जारी रहेगा, चाहे समय कितने भी वर्ष व्यतीत हो जाए।
इस सभा में प्रमुख रूप से महेश चंद्र, जितेंद्र मौर्य, पंकज प्रकाश, प्रमोद मौर्य, धीरेंद्र पटेल, धीरेंद्र सिंह, लवकुश मौर्य, संदीप पराशर, सुरेश चंद्र सहित अन्य कर्मी मौजूद रहे।